Uttarakhand-cabinet उत्तराखंड के तदर्थ और संविदा कर्मचारियों के लिए हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई है। धामी सरकार ने इन कर्मचारियों को स्थायी (परमानेंट) करने का निर्णय लिया है। CM Pushkar Singh Dhami मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस फैसले से प्रदेश के हजारों तदर्थ और संविदा कर्मचारियों के लिए एक नई उम्मीद जागी है, जो वर्षों से अपने नियमितीकरण की मांग कर रहे थे।
कैबिनेट का अहम निर्णय Uttarakhand-cabinet
शनिवार को देहरादून में हुई कैबिनेट बैठक में राज्य के तदर्थ और संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का प्रस्ताव पारित किया गया। हालांकि, इस निर्णय को लागू करने के लिए अब भी कुछ प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं बाकी हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है कट-ऑफ डेट का निर्धारण। कट-ऑफ डेट के आधार पर ही यह तय किया जाएगा कि किन कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा और किस समय सीमा तक उनका स्थायीकरण होगा।
सरकार ने घोषणा की है कि कट-ऑफ डेट को लेकर जल्द ही स्थिति स्पष्ट की जाएगी और इसके बाद यह निर्णय प्रभावी रूप से लागू कर दिया जाएगा। कैबिनेट बैठक के दौरान इस बात पर भी चर्चा की गई कि राज्य के विभिन्न विभागों, निगमों और परिषदों में कार्यरत लगभग 15,000 तदर्थ और संविदा कर्मचारी लंबे समय से इस निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में इस निर्णय से उन सभी कर्मचारियों को राहत मिलेगी, जो अपनी स्थायी नौकरी की आस लगाए बैठे थे।
10 साल की सेवा करने वाले कर्मचारी होंगे स्थायी
बैठक के दौरान इस बात पर भी सहमति बनी कि जिन तदर्थ और संविदा कर्मचारियों ने 10 साल की सेवा पूरी कर ली है, उन्हें परमानेंट किया जाएगा। यह निर्णय कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, ताकि उनकी सेवाओं का उचित सम्मान हो सके और वे स्थायी रूप से राज्य सरकार के अधीन कार्य कर सकें। इसके साथ ही कैबिनेट ने यह भी स्पष्ट किया कि कट-ऑफ डेट के निर्धारण के बाद ही इस निर्णय को लागू किया जाएगा।
कट-ऑफ डेट पर चर्चा
सूत्रों के अनुसार, बैठक में कट-ऑफ डेट के लिए दो प्रमुख वर्षों, 2018 और 2024, पर चर्चा की गई। हालांकि, अब तक इस पर कोई अंतिम सहमति नहीं बन पाई है। इसलिए, इस प्रस्ताव को आगामी कैबिनेट बैठक में फिर से पेश करने का निर्णय लिया गया है। इस बीच, कर्मचारियों को इस निर्णय के क्रियान्वयन का इंतजार करना होगा।
पिछली सरकारों के प्रयास
तदर्थ और संविदा कर्मचारियों को स्थायी करने के लिए पहले भी कई प्रयास किए गए थे। साल 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने सरकारी विभागों, निगमों, परिषदों और स्वायत्तशासी संस्थानों में काम करने वाले तदर्थ और संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए नियमावली तैयार की थी। इस नियमावली में प्रावधान किया गया था कि जो कर्मचारी 2011 की नियमावली के तहत विनियमित नहीं हो पाए हैं, उन्हें विनियमित किया जाएगा।
हालांकि, इस नियमावली का लाभ उन कर्मचारियों को नहीं मिल पाया, जो 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद विभिन्न विभागों में तैनात हुए थे। इसके बाद, 2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने संशोधित विनियमितीकरण नियमावली जारी की, जिसमें 10 साल की सेवा की शर्त को घटाकर 5 साल कर दिया गया।
अदालत का हस्तक्षेप
संशोधित नियमावली के तहत की गई नियुक्तियों पर बाद में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी। उच्च न्यायालय ने 2013 की नियमावली को सही ठहराते हुए यह कहा था कि जो तदर्थ और संविदा कर्मचारी पिछले 10 साल से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें नियमित किया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद, कार्मिक विभाग ने 2013 की नियमावली के आधार पर ही एक संशोधित नियमावली तैयार की।
इस संशोधित नियमावली पर 15 मार्च 2024 को धामी मंत्रिमंडल की बैठक में भी चर्चा की गई थी। उस समय भी तदर्थ और संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का प्रस्ताव पास हुआ था, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से इसे लागू नहीं किया जा सका था।
वर्तमान स्थिति और अगली कैबिनेट बैठक
अब, 17 अगस्त 2024 को हुई धामी मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव पर एक बार फिर सहमति बन गई है। हालांकि, कट-ऑफ डेट की स्थिति स्पष्ट न होने के चलते इसे आगामी कैबिनेट बैठक में दोबारा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। यह उम्मीद की जा रही है कि अगली कैबिनेट बैठक में इस संबंध में अंतिम निर्णय लिया जाएगा और तदर्थ और संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया को जल्द ही शुरू किया जाएगा।
कर्मचारियों में उत्साह Uttarakhand employee
इस निर्णय से प्रदेश के तदर्थ और संविदा कर्मचारियों के बीच उत्साह की लहर है। लंबे समय से अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता झेल रहे ये कर्मचारी अब उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार का यह कदम उनके करियर को एक नई दिशा देगा और उन्हें स्थायी नौकरी का सुरक्षा कवच प्रदान करेगा।
सरकार के इस निर्णय से न केवल कर्मचारियों को लाभ मिलेगा, बल्कि यह राज्य की सेवा प्रणाली में भी स्थिरता और निरंतरता सुनिश्चित करेगा।