New Delhi:नई दिल्ली में जलभराव की समस्या
नई दिल्ली। मानसून से पहले (MCD)एमसीडी हर साल नालों की सफाई का दावा करती है, लेकिन इस बार भी राजधानी में हुई बारिश ने इन दावों की सच्चाई को उजागर कर दिया। शनिवार की शाम हुई भारी बारिश के दौरान नाला ओवरफ्लो हो गया, जिससे(Rau’s IAS Coaching center)राव आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर गया और तीन छात्राओं की दुखद मौत हो गई।
नालों की सफाई: एक अधूरी कहानी
हर साल (MCD)एमसीडी जून तक नालों की सफाई के लिए एक्शन प्लान तैयार करती है। इसमें नालों के नाम, लंबाई, गहराई और उनमें से निकलने वाली गाद का अनुमान शामिल होता है। लेकिन हकीकत में, एमसीडी कभी भी तय समय तक सफाई का काम पूरा नहीं कर पाती और सफाई की अवधि हर बार बढ़ा दी जाती है। अंततः, एमसीडी अचानक घोषणा कर देती है कि नाले साफ हो चुके हैं।
पूर्व पार्षद का मुद्दा उठाना
राजेंद्र नगर के पूर्व पार्षद और भाजपा नेता राजेश भाटिया ने सोशल मीडिया के माध्यम से इलाके के नाले साफ नहीं होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि इलाके के विधायक दुर्गेश पाठक ने इस पर ध्यान नहीं दिया, जबकि एमसीडी में आप की सरकार है और वे एमसीडी के प्रभारी हैं।
(NGT)एनजीटी की हस्तक्षेप
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कोटला मुबारकपुर में जाम नाले की गंदगी को लेकर दिल्ली जल बोर्ड और एमसीडी से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता अभिषेक दत्त ने गंदे पानी की निकासी और गलियों में भरे पानी को हटाने के लिए निर्देश देने की मांग की है। एनजीटी ने एमसीडी से उचित कार्रवाई की रिपोर्ट देने को कहा है।
जलभराव के कारण
दिल्ली में जलभराव का एक प्रमुख कारण यह है कि शहर अभी भी 1976 में बने जल निकासी मास्टर प्लान पर काम कर रही है, जो केवल 50 मिमी बारिश को संभाल सकता है। तब से शहर की आबादी लगभग चार गुना बढ़ गई है और कंक्रीट क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है, जिससे ड्रेनेज सिस्टम अतिरिक्त पानी को संभालने में असमर्थ है।
दिल्ली में बाढ़ का एक और बड़ा कारण अतिक्रमण है, जिससे पानी गुजरने के लिए बहुत कम जगह बचती है। सीडब्ल्यूसी के एक अधिकारी के मुताबिक, “पहले पानी को बहने के लिए अधिक जगह मिलती थी, अब यह संकुचित क्रॉस-सेक्शन से होकर गुजरता है।”
नया ड्रेनेज मास्टर प्लान: एक अधूरा सपना
दिल्ली सरकार(Delhi Govt) ने 2011 में ड्रेनेज मास्टर प्लान तैयार करने के लिए (IIT)आईआईटी दिल्ली के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। आईआईटी ने 2018 में अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की, लेकिन विभिन्न मुद्दों के कारण इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका है।
शहरीकरण और जलभराव
(Delhi)दिल्ली दुनिया के सबसे तेजी से शहरी विस्तार करने वाले शहरों में से एक है। 1991 से 2011 तक दिल्ली का भौगोलिक आकार लगभग दोगुना हो गया है, लेकिन इस विस्तार के साथ जल निकासी प्रणाली की क्षमता पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया। निचले इलाकों में निर्माण से स्थिति और खराब हो गई है, जिससे जलभराव की समस्या बढ़ गई है।
वेटलैंड की कमी
प्रोफेसर सीआर बाबू के अनुसार, कई निचले इलाके अपनी वेटलैंड खो चुके हैं या बड़े पैमाने पर कंक्रीट से ढक गए हैं। इसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियाँ और कच्ची नालियाँ लुप्त हो गई हैं, जो वेटलैंड तक पानी ले जाती थीं। इससे जलभराव की समस्या और बढ़ गई है। https://hindinews.org.in/uttar-pradesh-greater-noida-news/
दिल्ली की जलभराव की समस्या का समाधान तब तक संभव नहीं है जब तक एमसीडी और अन्य नागरिक एजेंसियां अपने दायित्वों को ईमानदारी से नहीं निभातीं। शहरी विस्तार, अतिक्रमण और पुराने मास्टर प्लान पर निर्भरता जैसे मुद्दों को सुलझाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सरकार और नागरिक एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा ताकि राजधानी में हर साल मानसून के दौरान होने वाली समस्याओं का स्थायी समाधान मिल सके।