मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश का वो शहर जिसको शायद ही कोई 2013 से पहले कोई जानता था, तो आखिर क्या हुआ ऐसा जो मुजफ्फरनगर 2013 के बाद इतना चर्चा में आ गया, चलिए जानते हैं इस खबर में.
इस से पहले आपको बता दें की जैसा की आप सभी जानते हैं इस समय उत्तर प्रदेश में चुनावी दौर चल रहा हैं और ऐसे में सभी पार्टी कुछ न कुछ बोल रही हैं तो ऐसे में हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी चुनावी प्रचार करते हुए अपनी बात कही उन्होंने अपनी बातो से मुजफ्फरनगर में घटित 2013 की घटना को याद कराया है उन्होंने कहा, 2013 में सपा सरकार थी और बदमाशो का बोल बाला था हर कोई छोटा मोटा गुंडा अ[ने आप को डीएम समझता था.
तो मोदी जी ने मुजफ्फरनगर वाली घटना सभी लोगो को याद दिलाई चलिए अब हम भी अपनी इस खबर के माध्यम से आप लोगो को मुजफ्फरनगर वाली घटना की पूरी जानकारी दे देते हैं.
साल 2013 मुजफ्फरनगर का कवाल गाँव “जब कॉलेज के रास्ते में हर रोज हिने वाली छेड़खानी से परेशान होकर जाट जाति की लड़की ने अपनी भाइयो से पूरी बात बता दी उसने अपने भाइयो से बताया की कॉलेज के रास्ते में कुछ लड़के उसको रोज परेशान करते हैं. इस बात को सुनकर लड़की के भाई गुस्से से आग बबूला हो गए.
और अब दोनों भाई (गौरव और सचिन) उन मुस्लिम लडको के घर अपना विरोध दर्ज कराने चले गए वो लोग गए तो ज़रूर लेकिन वापस लौट कर नहीं आये.

शान्तिदूतो की भीड़ ने दोनों भाइयो को घेर लिया और चक्की के पाटों से उन्हें कुचलकर मार डाला गया, दोनों भाई की हालत ऐसी थी की दोनों की पहचान करना भी संभव नहीं था, क्योकि दोनों भाइयो के मुह हो बुरी तरह कुचल दिया गया था.

मामले की घम्भीरता को समझते हुए तत्कालीन SSP मंजिल सैनी और डीएम सुरेन्द्र सिंह ने फ़ौरन एक्शन लिया. और घटना में जिन मुस्लिम लडको का नाम था उनको फ़ौरन जेल में डाल दिया गया.
अब उनकी रिहाई के लिए खुद आजम खां से खुद एसएसपी को फोन किया लेकिन मंजिल सैनी ने उनकी रिहाई से साफ़ इनकार कर दिया जिस से आजम खां बोखला गए, इसके बाद डीएम और एसएसपी का ना सिर्फ तबादला किया गया बल्कि उन सभी मुस्लिम लडको को भी रिहा कर दिया गया.
जिसके बाद मुजफ्फरनगर के नंगला मंदौद में जाटो की तरफ से आगे की रणनिति पर चर्चा करने के लिए पंचायत बुलाई गयी शाम का वक्त था वहां पंचायत से वापस लौटते वक्त शांतिप्रिय कोम की भीड़ ने हमला कर दिया. खूब गोली बारी हुई भीषण नरसंहार हुआ लोगो के शव नहर में फेक दिए गए.


घटना के बाद सारा हिंदू समाज एकजुट हुआ उनकी तरफ से इस नरसंहार का विरोध दर्ज कराना शुरू हो गया लेकिन आजम खां के इशारे पर नाचने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नरसंघार का विरोध करने वाले हिन्दुओ पर ही फर्जी मुक़दमे लाध दिए.
कांग्रेस सपा और बसपा के नेता मुजफ्फरनगर तो पहुचें मगर मुसलमानों से ही मिलकर वापस लौट आये जिन जाटो का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ उनको किसी ने भी नहीं पुछा जाट उम्मीद करता रह गया की अजीत सिंह और जयंत चौधरी उनको इन्साफ दिलाएंगे, लेकिन यह उम्मीद भी महज बेईमानी साबित हुई.
इस मुस्किल वक्त में सुरेश राणा जैसे कुछ नेताओं ने बिना डरे उनका साथ दिया इन सभी नेताओं पर NSA के तहत कारवाही भी हुई.
इसके बाद 2017 में बीजेपी सरकार बनते ही योगी आदित्यनाथ ने युवाओं पर से ना सिर्फ फर्जी मुक़दमे वापस लिए बल्कि पशिमी उत्तर प्रदेश में सुरक्षा का बेहतर माहोल भी दिया आज बच्चियां बिना किसी डर के आसानी से रात देर रात तक घूम सकती हैं.

अब उन मुस्लिमो की कोम किसी भी लड़की को छुने की बात तो दूर देखने की हिम्मत भी नहीं कर सकती इसके बाद भी विपक्षी लोग बोलते हैं की Vjp ने कुछ नहीं किया, हलाकि इस खबर को पढने के बाद समझ गए होंगे की VJP ने क्या किया और क्या नहीं किया.