Hillang Yajik: भारत की महिला बॉडीबिल्डर हिलंग याजिक की प्रेरणादायक कहानी

(Hillang Yajik)भारत की बेटियां आज हर क्षेत्र में नया इतिहास लिख रही हैं। खेल के मैदान से लेकर विज्ञान, राजनीति और सेना तक, महिलाओं की भागीदारी ने भारत को एक नई दिशा दी है। इन्हीं महिलाओं में एक चमकता हुआ नाम है — हिलंग याजिक। यह नाम अब न केवल अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh), बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का प्रतीक बन गया है।

कौन हैं हिलंग याजिक? who is Hillang Yajik?

सबके मन मे उत्सुकता है कि “who is Hillang Yajik?” हिलंग याजिक अरुणाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखती हैं। मात्र 24 वर्ष की उम्र में उन्होंने वह कारनामा कर दिखाया है, जिसकी उम्मीद बहुत कम लोगों को थी। उन्होंने हाल ही में थिम्पू (भूटान) (Thimpu Bhutan )में आयोजित साउथ एशियन बॉडीबिल्डिंग एंड फिजीक स्पोर्ट्स चैंपियनशिप 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व किया और तीन मेडल अपने नाम किए — गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज

यह पहली बार है जब अरुणाचल प्रदेश की कोई महिला इस स्तर की बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर इतने मेडल जीतने में सफल रही हो।

हिलंग ने महिला बॉडीबिल्डिंग की मुख्य कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता। इसके अलावा, उन्होंने दो अन्य सब-कैटेगरीज में सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल भी हासिल किए। यह कोई साधारण बात नहीं है। बॉडीबिल्डिंग जैसे चुनौतीपूर्ण खेल में एक साथ तीन मेडल जीतना यह दर्शाता है कि उन्होंने कितनी कठिन मेहनत और समर्पण से तैयारी की थी।

उनकी इस जीत ने न केवल अरुणाचल को गर्वित किया बल्कि पूरे भारत को गौरव का अनुभव कराया है।

सफलता का सफर आसान नहीं था

hillang yajik
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हिलंग का यह सफर आसान नहीं था। उन्होंने खुद बताया कि उनके पास न तो उच्च स्तरीय ट्रेनिंग सुविधाएं थीं और न ही किसी बड़े ब्रांड या संगठन का आर्थिक सहयोग। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने सीमित संसाधनों के साथ भी अपने शरीर को तैयार किया, पोषण का ख्याल रखा और निरंतर अभ्यास किया।

“मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतनी दूर तक आ पाऊंगी। लेकिन मेरा सपना था कि मैं अपने राज्य और देश के लिए कुछ ऐसा करूं जो मिसाल बन जाए,” — हिलंग याजिक(Hillang Yajik)

उनके शब्दों में वो आत्मविश्वास और जज़्बा साफ नजर आता है, जो हर युवा को प्रेरणा देता है।

महिला सशक्तिकरण की असली तस्वीर

हिलंग याजिक की यह उपलब्धि सिर्फ खेल में एक जीत नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश है। यह दिखाता है कि महिलाएं चाहे किसी भी क्षेत्र से आती हों, अगर उन्हें अवसर मिले तो वे भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का नाम रोशन कर सकती हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि पूर्वोत्तर भारत की महिलाएं भी ताकत और आत्मबल की मिसाल हैं।

समाज और सोशल मीडिया से मिल रही तारीफें

जैसे ही हिलंग की सफलता की खबर आई, सोशल मीडिया पर बधाइयों का तांता लग गया। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर लोग उन्हें ‘शेरनी ऑफ ईस्ट’ और ‘आयरन वुमन ऑफ इंडिया’ जैसे नामों से संबोधित करने लगे।

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं ने भी ट्वीट कर उन्हें बधाई दी और उन्हें राज्य की प्रेरणा बताया। राज्य सरकार ने यह भी संकेत दिए हैं कि वे हिलंग जैसे खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए नई योजनाएं शुरू कर सकती है।

राष्ट्र के लिए प्रेरणा, युवाओं के लिए संदेश

हिलंग याजिक की यह कहानी सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि हर युवा के लिए प्रेरणास्त्रोत है। यह बताती है कि अगर आपके पास सपना है, और आप उसमें यकीन करते हैं, तो कोई भी कठिनाई आपको नहीं रोक सकती।

उन्होंने दिखा दिया है कि सीमित संसाधन भी आपकी ताकत बन सकते हैं, अगर आप में आत्मविश्वास और मेहनत करने की इच्छाशक्ति हो।

हिलंग याजिक आज भारत की उन बेटियों में शुमार हो चुकी हैं जिन्होंने संघर्ष, समर्पण और साहस के साथ इतिहास रच दिया है। उनकी जीत सिर्फ एक मेडल नहीं, बल्कि एक विचार है — कि “अगर महिलाएं ठान लें तो वे हर मंच पर चमक सकती हैं।”

उनकी यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनकर रहेगी।


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