नई दिल्ली / गाज़ियाबाद/Uttarakhand.
उत्तराखंड की संस्कृति, एकता और खेल भावना को एक मंच पर लाने वाला बहुप्रतीक्षित 6वां देवभूमि क्रिकेट महाकौथिग टी-20 टूर्नामेंट 26 अक्टूबर 2025, रविवार को भव्य रूप से प्रारंभ हुआ।
नोएडा सेक्टर-21 स्टेडियम ढोल-दमाऊं की गूंज, मासकबीन की मधुर धुन और उत्तराखंडी झोड़ा-छपेली के रंगों में रंग उठा।
देवभूमि की परंपराओं और क्रिकेट के जोश का यह संगम दर्शकों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं रहा।
देवभूमि (Devbhumi) की संस्कृति से सजा उद्घाटन समारोह

सुबह से ही नोएडा सेक्टर-21 स्टेडियम में भीड़ उमड़ पड़ी थी। मैदान को बुरांश के फूलों, रिंगाल की सजावट और उत्तराखंडी झांकियों से सजाया गया था।
उद्घाटन समारोह की शुरुआत पारंपरिक पूजा और दीप प्रज्वलन से हुई।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं श्रीमती पूनम कथैथ, जिला पंचायत अध्यक्ष, रुद्रप्रयाग, जिन्होंने रिबन काटकर टूर्नामेंट का शुभारंभ किया।
उनके साथ मंच पर उपस्थित थे —
मुख्य संयोजक मनवर सिंह असवाल, अध्यक्ष अर्जुन सिंह कंडारी, प्रशासनिक महासचिव राजेन्द्र सिंह रावत, खेल महासचिव विक्रम सिंह नेगी, जनसंपर्क महासचिव दरवान सिंह रावत,
गढ़वाल हितैषिणी सभा के अध्यक्ष सूरत सिंह रावत, महासचिव पवन पैठानी,
माता पार्वती देवी चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष महावीर सिंह राणा,
तथा मुख्य प्रायोजक मुकेश खंतवाल (Danish Patisserie)।
इन सभी के अथक प्रयासों से यह आयोजन एक सांस्कृतिक पर्व का रूप ले चुका है।
ढोल-दमाऊं, मासकबीन और झोड़ा-छपेली का मनमोहक प्रदर्शन

जब ढोल–दमाऊं की थाप गूंजी और लोक कलाकारों ने उत्तराखंड(Devbhumi Uttarakhand) के पारंपरिक नृत्य झोड़ा और छपेली की प्रस्तुति दी,
तो पूरा स्टेडियम देवभूमि की रंगीन संस्कृति में डूब गया।
मासकबीन की धुन पर खिलाड़ियों ने झूमते हुए मैदान में प्रवेश किया, और दर्शक “जय देवभूमि!” के नारों से गूंज उठे।
रंग-बिरंगे परिधानों में सजे कलाकारों ने जब पहाड़ी लोकनृत्य प्रस्तुत किया,
तो मैदान किसी पर्व की तरह जगमगा उठा।
यह केवल एक खेल आयोजन नहीं, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा और गर्व का जीवंत उत्सव बन गया।
मुख्य अतिथि श्रीमती पूनम कथैथ ने खिलाड़ियों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा —
“देवभूमि क्रिकेट महाकौथिग प्रवासी उत्तराखंडियों के लिए सिर्फ खेल नहीं, अपनी जड़ों से जुड़ने का माध्यम है।
यहाँ हर खिलाड़ी उत्तराखंड की पहचान का प्रतिनिधित्व करता है।”
पहला मुकाबला — माँ भौना देवी बनाम देवभूमि उत्तराखंड XI
उद्घाटन समारोह के बाद टूर्नामेंट का पहला मुकाबला माँ भौना देवी और देवभूमि उत्तराखंड XI के बीच खेला गया।
देवभूमि XI के कप्तान ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग का फैसला किया,
लेकिन यह निर्णय उनके हक में नहीं गया।
माँ भौना देवी टीम ने शुरुवाती झटकों के बाद आक्रामक खेल दिखाया और विपक्षी गेंदबाजों पर दबाव बना दिया।
ललित बिष्ट और अनिरुद्ध सिंह की विस्फोटक साझेदारी
पहली पारी में माँ भावना देवी के बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया।
ललित बिष्ट ने मात्र 25 गेंदों में 44 रन ठोके, जिसमें 5 चौके और 2 छक्के शामिल थे।
उनके साथी अनिरुद्ध सिंह ने 28 गेंदों पर 43 रन की जिम्मेदार पारी खेली।
दोनों के बीच अहम साझेदारी ने स्कोर को मजबूती दी और देवभूमि XI के गेंदबाजों के लिए मुश्किलें बढ़ाईं।
देवभूमि XI की ओर से विरेंद्र सिंह रावत ने 4 ओवर में 29 रन देकर 3 विकेट झटके,
जबकि करण रावत ने कसी हुई गेंदबाजी करते हुए 25 रन देकर 2 विकेट हासिल किए।
हालांकि बाकी गेंदबाज कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए।
पहली पारी के अंत में माँ भौना देवी टीम ने 178 रन का विशाल लक्ष्य खड़ा किया।
देवभूमि XI की बल्लेबाजी — रनों के पीछे छूटी उम्मीदें
लक्ष्य का पीछा करने उतरी देवभूमि उत्तराखंड XI की शुरुआत कमजोर रही।
टीम ने शुरुआती विकेट जल्दी गंवा दिए, जिससे दबाव बढ़ता गया।
सूरज बिष्ट ने 17 रन और कार्तिक नायल ने 16 रन बनाए,
लेकिन कोई भी बल्लेबाज़ पिच पर टिककर बड़े शॉट नहीं खेल सका।
माँ भौना देवी टीम के कप्तान प्रकाश जोशी ने गेंद से शानदार प्रदर्शन किया।
उन्होंने 2 ओवर में मात्र 14 रन देकर 3 महत्वपूर्ण विकेट झटके।
उनका साथ देते हुए सुभाष घिल्डियाल ने 2.1 ओवर में सिर्फ 7 रन देकर 2 विकेट लेकर देवभूमि XI की बल्लेबाजी को ध्वस्त कर दिया।
पूरा टीम स्कोर 113 रन पर सिमट गया और मुकाबला एकतरफा रहा।
ललित बिष्ट — उद्घाटन मुकाबले के हीरो

इस रोमांचक मुकाबले में ललित बिष्ट को मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया।
उनकी ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी ने न केवल टीम को शानदार जीत दिलाई,
बल्कि टूर्नामेंट की शुरुआत को भी यादगार बना दिया।
मैच के बाद दर्शकों ने मैदान में उतरकर खिलाड़ियों से मुलाकात की और ढोल–दमाऊं की थाप पर फिर से झूम उठे।
आयोजकों की प्रतिक्रिया
मुख्य संयोजक मनवर सिंह असवाल ने कहा —
“देवभूमि महाकौथिग का मकसद सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि हमारी जड़ों को जीवित रखना है।
हर साल बढ़ती भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि उत्तराखंड के युवाओं में खेल के प्रति गहरा जुनून है।”
जनसंपर्क महासचिव दरवान सिंह रावत ने बताया —
“यह टूर्नामेंट हमारे समुदाय की एकता और संस्कृति का प्रतीक बन चुका है।
ढोल–दमाऊं की थाप और खिलाड़ियों के हौसले ने इसे एक पर्व बना दिया है।”
दूसरा मुकाबला — Delhi Rising XI (DRX) बनाम Highlander XV का रोमांच
अब टूर्नामेंट का दूसरा मुकाबला होगा Delhi Rising XI (DRX) और Highlander XV के बीच,
जो कि बेहद रोमांचक और कड़ा होने की उम्मीद है।
DRX के कप्तान प्रदीप रावत और Highlander XV के कप्तान जैदीप रावत दोनों ही अपनी टीमों को जीत दिलाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
दोनों टीमों के बीच यह मैच NCR क्षेत्र का सबसे चर्चित मुकाबला माना जा रहा है।
DRX की बल्लेबाजी लाइनअप मजबूत है, वहीं Highlander XV की गेंदबाजी उनकी असली ताकत है।
विशेषज्ञों का मानना है कि
“जो टीम पावरप्ले में बेहतर प्रदर्शन करेगी, वही मैच की दिशा तय करेगी।”
मैच एनालिसिस – क्या उम्मीदें हैं दर्शकों की?
इस मुकाबले में तीन मुख्य कारक होंगे:
- कप्तानी की रणनीति – प्रदीप रावत का शांत नेतृत्व बनाम जैदीप रावत की आक्रामक सोच।
- बल्लेबाजी की गहराई – DRX की ओपनिंग जोड़ी बनाम Highlander की मिड-ऑर्डर ताकत।
- गेंदबाजी की सटीकता – कौन टीम 6 ओवर के अंदर विकेट निकालती है।
दर्शकों में जोश इस बात का है कि यह मैच किसी थ्रिलर से कम नहीं होगा।
स्टेडियम में पहले से ही बुकिंग पूरी हो चुकी है और सोशल मीडिया पर #DRXvsHighlanderXV ट्रेंड कर रहा है।
टूर्नामेंट की जानकारी एक नज़र में
- टूर्नामेंट की शुरुआत: 26 अक्टूबर 2025
- मैच स्थल: राज नगर ग्राउंड, गाज़ियाबाद
- फाइनल मुकाबला: 14 दिसंबर 2025, मंसूर अली ख़ाँ क्रिकेट स्टेडियम, जामिया (दिल्ली)
- कुल टीमें: 64
- कुल खिलाड़ी: लगभग 960
- विजेता टीम को नकद पुरस्कार: ₹1,21,000
- उपविजेता टीम को नकद पुरस्कार: ₹75,000
- अन्य पुरस्कार: मैन ऑफ द मैच, बेस्ट बॉलर, बेस्ट बैट्समैन, मैन ऑफ द सीरीज़
देवभूमि का गौरव — संस्कृति और खेल का अद्भुत संगम
देवभूमि क्रिकेट महाकौथिग अब केवल एक टूर्नामेंट नहीं,
बल्कि उत्तराखंड की पहचान, संस्कृति और एकता का प्रतीक बन चुका है।
यह आयोजन उन सभी प्रवासी उत्तराखंडियों के दिलों को जोड़ता है,
जो अपने पहाड़ से दूर रहते हुए भी उसकी मिट्टी की खुशबू को अपने साथ रखते हैं।
नोएडा स्टेडियम में गूंजती ढोल–दमाऊं की थाप,
खिलाड़ियों के माथे पर पसीने की चमक,
और दर्शकों के “जय देवभूमि” के नारे —
इन सबने यह साबित कर दिया कि
“जब बात देवभूमि के जोश और जज़्बे की होती है, तो मैदान खुद पर्व बन जाता है।”
26 अक्टूबर से शुरू हुआ यह टूर्नामेंट आने वाले हफ्तों तक उत्तराखंडियों के दिलों में जोश भरता रहेगा।
यह सिर्फ क्रिकेट नहीं — एक भावना है, एक परंपरा है, एक जुड़ाव है।
देवभूमि महाकौथिग हर साल यह संदेश देता है कि
“हम जहाँ भी रहें, हमारी जड़ें पहाड़ में ही हैं — और वही हमें जोड़ती हैं।”
ढोल-दमाऊं की थाप पर शुरू हुआ यह सफ़र
फाइनल मुकाबले तक उत्सव, रोमांच और गौरव का प्रतीक बना रहेगा।
जय देवभूमि! जय क्रिकेट!
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